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25. Jesus Washes His Disciples Feet

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25. यीशु चेलों के पाँव धोता है

यह अंतिम रात्रिभोज की शाम थी, और प्रभु यीशु ने अपने करीबी मित्रों के साथ एक पवित्र भोजन साझा करने का एक आखिरी मौका लिया। उस शाम जैसे ही अंधेरा उतरा, मसीह ने अपने शिष्यों को उसके लिए तैयार किया, जिसे वह जानता था जल्द ही उनके लिए एक चौंकाने वाला भयानक अनुभव होगा। उसका समय आ गया था। जब लोग जानते हैं कि मृत्यु आ रही है, तो वे अक्सर उन विचारों को बाँटते हैं जो उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। पंद्रह घंटों के भीतर, उसे क्रूस पर चढ़ाया जाएगा। यहुन्ना के सुसमाचार के अगले पाँच अध्याय आखिरी घंटों और यीशु के उन महत्वपूर्ण विचारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो वह गत्समने के बाग में अपनी गिरफ्तारी से पहले बारह शिष्यों के साथ बाँटेगा।

 

1फसह के पर्व से पहिले जब यीशु ने जान लिया, कि मेरी वह घड़ी आ पहुँची है कि जगत छोड़कर पिता के पास जाऊं, तो अपने लोगों से, जो जगत में थे, जैसा प्रेम वह रखता था, अन्त तक वैसा ही प्रेम रखता रहा। 2और जब शैतान शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती के मन में यह डाल चुका था, कि उसे पकड़वाए, तो भोजन का समय था। (यहुन्ना 13:1-2)

 

फसह का प्रतीक

 

इससे पहले कि हम इस खंड को समझने की कोशिश करें, आइए उस रात को वह कमरा कैसे दिख रहा होगा, इसकी एक तस्वीर प्राप्त करने का प्रयास करें। जब लोग अंतिम भोज के बारे में सोचते हैं, तो वे आम तौर पर लियोनार्डो दा विंची की प्रसिद्ध चित्रकला को याद करते हैं। यह शायद, उसका सबसे प्रसिद्ध काम बन गया है क्योंकि लगभग हर किसी ने कहीं न कहीं इसकी प्रति को देखा है। इस तस्वीर की लोकप्रियता इस तथ्य से आती है कि यह उस दिन के चित्रण के सामान्य चित्रों से अलग था। लियोनार्डो यीशु की इस घोषणा के प्रति प्रत्येक शिष्य की मानवीय अभिव्यक्ति को चित्रित करना चाहता था कि उनमें से एक उसे धोखा देगा। उसने उन्हें एक सीधे पंक्ति में चित्रित किया ताकि हम उनके चेहरे की अभिव्यक्ति देख सकें। यद्यपि यह एक सुंदर चित्रकला है, यह घटना को उस तरह चित्रित नहीं करता जैसा हम जानते हैं कि उस समय की संस्कृति कैसी थी। कई विवरण अलग-अलग हैं, उदाहरण के लिए, फसह के लिए यहूदी औपचारिक भोज, मेज़ के आसपास सामान्यत: किस व्यवस्था में परोसा जाता था।

 

अगर हमें यह कल्पना करनी है कि उस गंभीर रात को यह कमरा कैसा दिखाई दे रहा था, तो हमें अपने दिमाग से इस चित्र की छवि को पूरी तरह मिटाना होगा। यीशु और बारह चेले पहले से ही यहुन्ना और पतरस (लूका 22:8) द्वारा तैयार किए गए बड़े ऊपरी कक्ष में पहुंचे, और पवित्रशास्त्र कहता है कि यह पारंपरिक फसह का भोजन था जिसे उन्होंने खाया; "13उन्होंने ... फसह तैयार किया। 14जब घड़ी पहुंची, तो वह प्रेरितों के साथ भोजन करने बैठा" (लूका 22: 13-14)। शिष्य एक यू-आकार की मेज जिसे ट्राइकलिनियम कहा जाता है, के इर्द-गिर्द झुक-कर बैठ गए। पारंपरिक रूप से जमीन से करीब अठारह इंच उपर एक यू-आकार बनाने के लिए एक साथ तीन मेज़ों को जोड़ा जाता था। शिष्य शायद नीची पीढ़ी या गद्दियों पर जमीन पर बैठे थे। वे एक हाथ पर झुके हुए होंगे, जिससे मेज पर भोजन तक पहुंचने के लिए उनका दूसरा हाथ स्वतंत्र था। इस तरह से गद्दों पर झुकने का मतलब था कि प्रत्येक व्यक्ति का सिर लगभग उसके बाईं ओर बैठे व्यक्ति की छाती पर पहुँच रहा था।

 

मेज पर सिर्फ रोटी और दाखरस ही नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण भोजन मिलता। बेशक, चूंकि हम वहाँ नहीं थे, इसलिए हम नहीं जान सकते कि यीशु और उसके शिष्यों ने उस रात क्या खाया था। बाइबिल के विद्वानों के बीच विवाद है कि क्या यह पारंपरिक फसह का भोज था या साधारण यहूदी भोज था। मेरा मानना ​​है कि यह फसह का भोजन होगा क्योंकि गलीली लोग यहूदा के लोगों से एक दिन पहले फसह का भोजन खा सकते थे। इस भोजन के लिए सावधानीपूर्वक तैयारी की गई थी। "यीशु ने पतरस और यूहन्ना को यह कहकर भेजा, कि जाकर हमारे खाने के लिये फसह तैयार करो" (लूका 22:8)। मेज पर सजे भोजन में तीन मैटज़ॉट की एक प्लेट होगी (अखमीरी रोटी के पतले टुकड़े)। हमें पारंपरिक फसह की प्लेट (केरा) पर अन्य भोजन भी मिलता, जिनमें छह वस्तुएं थीं जिनका यहूदी लोगों के लिए विशेष महत्व था। यह वस्तुएं उन्हें मिस्र में गुलामी से परमेश्वर के उनके छुटकारे से पहले कठोर जीवन की याद दिलाने का कार्य करते थे (निर्गमन 13:3)। यह वस्तुएँ निम्नानुसार थीं;

 

1. और 2. मैरॉर और चाज़ेरेट; दो प्रकार की कड़वी जड़ी बूटी, जो कि दासत्व की कड़वाहट और कठोरता का प्रतीक हैं, जिसे यहूदियों ने प्राचीन मिस्र में सहन किया था। मैरॉर के लिए, बहुत से लोग ताजा कसी हुई मूली या पूरी मूली की जड़ का उपयोग करते थे। चाज़ेरेट आम तौर पर जड़ वाला रोमी सलाद पत्ता है जिसका स्वाद कड़वा है। तो फसह के भोज के दौरान कड़वी जड़ी बूटी खाकर मिट्जवा की पूर्ति में मूली या रोमी सलाद पत्ता खाया जा सकता था।

3. चारोसेट; मिस्र के भंडार बनाने के लिए यहूदी दासों द्वारा उपयोग किए जाने वाले गारे का प्रतीक यह फल और बादाम आदि का एक मीठा, भूरा, मोटा पिसा लेप था।

4. करपास; कड़वी जड़ी बूटी के अलावा एक सब्जी, आमतौर पर अजमोद, लेकिन कभी-कभी, अजवाइन या पके हुए आलू जैसे कुछ, जिसे नमक के पानी (अशकेनाज़ी रीती), सिरके (सेफार्डी रीती), या चारोसेट (पुरानी परंपरा, यमन में यहूदियों के बीच आज भी प्रचलित) जिसे भोज की शुरुआत में लिया जाता।

5. ज़ीरोआ; भेड़ के बच्चे की भुनी हुई टांग, कोर्बान पेसाच (पेश बलिदान) का प्रतीक है, जो एक भेड़ का बच्चा था जिसकी यरूशलेम में मंदिर में बलि दी जाती थी और फिर इसे भून कर फसह की रात के भोज के हिस्से के रूप में खाया जाता था।

6. बैत्जाह; एक भुना हुआ अंडा, जो कोर्बान चगीगा (बलिदान का पर्व) का प्रतीक है जिसे यरूशलेम में मंदिर में दिया जाता था और फसह की रात में भोजन के हिस्से के रूप में खाया जाता था।"

 

मेज पर प्रत्येक व्यक्ति के लिए, एक मिट्टी का प्याला भी था जो, कुछ कहते हैं, शुद्ध अंगूर के रस के भरा हुआ होता था; दूसरों का कहना है कि यह दाखरस होता। यहाँ महत्वपूर्ण बात यह है कि यह दाखलता का फल था। भोजन के दौरान प्रत्येक व्यक्ति प्याले से चार अलग-अलग समय में पीता। इस रात को एक विशेष अवसर मानते थे, इसलिए यहूदी परिवारों में इसके लिए काफी तैयारी होती थी। परिवार की माँ फसह के भोजन से पहले सावधानी पूर्वक घर में खमीरी रोटी का हर एक टुकड़ा या दाना हटाने के लिए पूरे हफ्ते सफाई में बितातीं;

 

सात दिन तक अखमीरी रोटी खाया करना, उन में से पहले ही दिन अपने अपने घर में से खमीर उठा डालना, वरन जो पहले दिन से लेकर सातवें दिन तक कोई खमीरी वस्तु खाए, वह प्राणी इस्राएलियों में से नाश किया जाए। (निर्गमन 12:15)

 

रूढ़िवादी यहूदियों के परिवार का मुखिया आज भी भोजन से पहले इस प्रार्थना को करता है, "मेरे पास सभी खमीर, जो मैंने देखा है और जिसे मैंने नहीं देखा है, यह शून्य हो, और वह धरती की धूल के रूप में हो।" इसमें अक्सर खमीर के साथ रोटी के एक छोटे टुकड़े को छुपाकर बच्चों के साथ एक छोटा सा खेल खेला जाता है। तब माँ बच्चे को बताएगी कि आखिरी टुकड़ा कहाँ छोड़ा गया है ताकि बच्चा इसे ढूंढ कर आग में जला दे।

 

घर से खमीर को हटाने का अनुष्ठान फसह के उत्सव का एक अनिवार्य हिस्सा था, जो अखमीरी रोटी के पर्व का पहला दिन था।

 

प्रश्न 1) फसह के भोजन से पहले खमीर को हटाने का क्या महत्व था? मिस्र से पलायन के साथ उसका क्या लेना देना था, और यह मसीह में विश्वासी से कैसे संबंधित है?

 

पहले एक अवसर पर, यीशु ने अपने चेलों को उनकी घमंडी शिक्षा का जिक्र करते हुए, फरीसियों के खमीर के बारे में चेतावनी दी थी। उसने चेतावनी दी थी कि अगर यह उनके हृदयों के कमरों मिल जाए, तो यह शिष्यों के हृदयों में फैलकर उन्हें घमंडी बना सकता है (मत्ती 16:6)। खमीर पाप का प्रतीक था, और उस सब का जो स्वस्थ या सच्चा नहीं था। प्रेरित पौलुस ने जब यह लिखा तो वह खमीर की ही बात कर रहा था;

 

6तुम्हारा घमण्ड करना अच्छा नहीं; क्या तुम नहीं जानते, कि थोड़ा सा खमीर पूरे गूंधे हुए आटे को खमीर कर देता है7पुराना खमीर निकाल कर, अपने आप को शुद्ध करो: कि नया गूंधा हुआ आटा बन जाओ; ताकि तुम अखमीरी हो, क्योंकि हमारा भी फसह जो मसीह है, बलिदान हुआ है। 8सो आओ हम उत्सव में आनन्द मनावें, न तो पुराने खमीर से और न बुराई और दुष्टता के खमीर से, परन्तु सीधाई और सच्चाई की अखमीरी रोटी से(1 कुरिन्थियों 5:6-8)

खमीर पाप की बात करता है, जो हमारी आत्मा को भ्रष्ट कर रहा है। खमीर एक कवक है जो रोटी को बढ़ाती है। खमीर का कार्य आटे में हवा उत्पन्न होने देना है। यह एक ऐसे आदमी की तस्वीर है जो अपने अहंकार से फूल चुका है, जबकि वह कुछ नहीं है वह खुद को कुछ समझने लगता है। हमें अपने घमंड और आत्मनिर्भरता से छुटकारा पाने और अपने परमेश्वर के सम्मुख पारदर्शी और ईमानदार होना है।

 

जब हम मसीह के पास आते हैं, तो हमें शैतान और उसके कार्यों को न कह कर संसार की व्यवस्था को पीछे छोड़ना है। अब हमें पाप के खमीर को हमारे ऊपर शासन करने की अनुमति देने का आदि नहीं रहने देना है। मसीह, हमारे फसह के मेम्ने को हमारे लिए मिस्र से उद्धार करने के लिए बलिदान किया गया है, जो सांसारिक व्यवस्था की एक तस्वीर है। मेमने का लहू बहाया गया है और हमारे घर के दरवाजे पर लगाया गया है।

 

लूका उस रात की घटनाओं को जब वे फसह के भोज के चारों ओर बैठे थे, हमें और गहराई से समझाता है। एक विवाद उत्पन्न हुआ कि कौन सा शिष्य सबसे महान था;

 

24उन में यह वाद- विवाद भी हुआ; कि हम में से कौन बड़ा समझा जाता है? 25यीशु ने उनसे कहा, “अन्यजातियों के राजा उन पर प्रभुता करते हैं; और जो उन पर अधिकार रखते हैं, वे उपकारक कहलाते हैं। 26 परन्तु तुम ऐसे होना; वरन जो तुम में बड़ा है, वह छोटे की नाई और जो प्रधान है, वह सेवक की नाई बने। 27 क्योंकि बड़ा कौन है; वह जो भोजन पर बैठा या वह जो सेवा करता है? क्या वह नहीं जो भोजन पर बैठा है? पर मैं तुम्हारे बीच में सेवक की नाईं हूँ। (लूका 22:24-27)

 

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यीशु के लिए उस रात उस मेज़ पर बैठना कैसा रहा होगा, इस बात पर बहस और कलह सुनना कि उनमें से सबसे महान कौन था? इन पुरुषों के साथ अपने जीवन के पिछले तीन वर्ष बिताने के बाद, उन्हें परमेश्वर के राज्य के तरीके प्रदान करने के बाद, उसे ओहदे के लिए उन्हें आपस में बहस करते देख कितनी पीड़ा हुई होगी। लूका पैर धोने का जिक्र नहीं करता है। यहुन्ना ही अकेला है जो दासता के इस कार्य के बारे में बात करता है, लेकिन यह संभव है, कि जब तर्क किया जा रहा था, तो यीशु ने उन्हें एक व्यावहारिक सबक सिखाने का यह अवसर लिया। यीशु अक्सर अपनी शिक्षा को चित्रित करने के लिए चित्रों और घटनाओं का उपयोग करता था, और यह तो एक आदर्श अवसर था। हम जानते हैं कि भोजन के दौरान किसी समय, वह मेज़ से उठ गया और उनके लिए दासत्व के नेतृत्व का नमूना पेश करना शुरू कर दिया।

 

पाँव धोना

 

राष्ट्र से बाहर के लोग कम से कम एक हफ्ते पहले आ गए होंगे क्योंकि इज़राइल के बाहर किसी देश से आने वाला कोई भी व्यक्ति सात दिनों के शुद्धिकरण के अनुष्ठान से पहले मंदिर में आराधना नहीं कर सकता था। यह शुद्धिकरण का समय समझाता है कि क्यों यहूदियों के शासकों ने पिलातुस के सामने यीशु पर आरोप लगाने के समय, रोमी न्यायी पिलातुस के निवास में प्रवेश नहीं किया। एक गैर-यहूदी के घर में प्रवेश करने के बाद उन्हें फिर से फसह मनाने के लिए शुद्धिकरण के अनुष्ठान से होकर गुज़रना पड़ता (यहुन्ना 18:28)

 

उस समय के अन्य प्राचीन शहरों के जैसे ही, यरूशलेम की सड़कों पर बहुत कम पक्की सड़कें थीं; इसलिए, एक स्थान से दूसरे स्थान तक चलना एक अव्यवस्थित कार्य था, जिसमें चमड़े की बनी चप्पल को पैरों के चारों ओर बाँधा जाता था। गंदगी और मिट्टी पैर की अंगुलियों के बीच आ बैठती थी और प्रत्येक घर में प्रवेश पर पैर धोने की आवश्यकता होती थी। अनुष्ठान के हाथ और पाँव धोने के इस कार्य के लिए, कई मन पानी से भरे बड़े मिट्टी या पत्थर के बरतन प्रवेश द्वार के पास होते थे।

 

गलील के काना में विवाह के उत्सव में दो से तीन मन पानी वाले ऐसे ही छ: पत्थर के बर्तनों में विवाह में प्रवेश से पहले हाथ और पाँव धोने के लिए प्रयोग होने वाला पानी ही होगा जिसे यीशु ने दाखरस में बदला था। आमतौर पर हर व्यक्ति के आने पर एक सेवक धोने का कार्य करता था। कुछ यहूदियों का मानना ​​था कि केवल गैर-यहूदी दासों को ही, न कि यहूदी लोगों को, पाँव धोने का कार्य करना चाहिए क्योंकि यह कार्य अति तुच्छ था। फसह के भोज के दौरान जिसे यीशु ने अपने मित्रों के साथ साझा खाया, ऐसा संभव है कि कोई सेवक उपलब्ध नहीं था। जो भी था, हम देखते हैं कि जैसे-जैसे प्रत्येक शिष्य पहुँचा, किसी ने भी अपने पाँव को नहीं धोया, इसके बजाय उन्होंने अपने गंदे पाँव लेकर ही मेज़ पर झुककर बैठने का चुनाव किया।

 

सेवक बन अगुवाई का उदहारण

 

3यीशु ने यह जानकर कि पिता ने सब कुछ मेरे हाथ में कर दिया है और मैं परमेश्वर के पास से आया हूँ, और परमेश्वर के पास जाता हूँ। 4भोजन पर से उठकर अपने कपड़े उतार दिए, और अंगोछा लेकर अपनी कमर बान्धी। 5तब बरतन में पानी भरकर चेलों के पाँव धोने और जिस अंगोछे से उसकी कमर बन्धी थी उसी से पोंछने लगा। 6जब वह शमौन पतरस के पास आया, तब उसने उससे कहा, “हे प्रभु, क्या तू मेरे पाँव धोता है?” 7यीशु ने उसको उत्तर दिया, “जो मैं करता हूँ, तू अब नहीं जानता, परन्तु इसके बाद समझेगा।” 8 पतरस ने उससे कहा, “तू मेरे पाँव कभी न धोने पाएगा।” यह सुनकर यीशु ने उससे कहा, “यदि मैं तुझे न धोऊं, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।” 9शमौन पतरस ने उससे कहा, “हे प्रभु, तो मेरे पाँव ही नहीं, वरन हाथ और सिर भी धो दे।” (यहुन्ना 13:3-9)

 

यह संभव है कि जब यीशु मेज़ पर अपने स्थान से उठकर अपने बाहरी वस्त्र उतारने लगा तो कमरा शांत हो गया होगा। मुझे यकीन है कि जब यीशु अपने स्थान से उठ अपने कपड़ों को उतारकर और अपने प्रार्थना के वस्त्रों को अलग कर एक गैर-यहूदी सेवक जैसा दिखने लगा तो शिष्य सोचा रहे होंगे कि उसकी योजना आखिर है क्या। जब वह प्रवेश द्वार पहुँच गया, अपने चारों ओर एक तौलिया लपेटा, और एक बर्तन में पानी भर लिया, वे बहुत उलझन में पड़ गए होंगे। प्रभु उन्हें इस उदाहरण द्वारा सबसे अधिक सजीव तरह से सिखा रहा था। वह जानता था कि यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण सबक होगा, और वह चाहता था कि यह उनके दिमाग में स्पष्ट हो।

 

प्रश्न 2) तीन और चार पद एक साथ ‘कि’ शब्द से जुड़े हैं। इन दोनों विचारों को एकसाथ जोड़कर यहुन्ना किस ओर इशारा कर हमें दिखा रहा है? अपनी उत्पत्ति और अधिकार जानना और यीशु का इस तुच्छ कार्य को करने का क्या संबंध से है जिसे वह चुनता है?

 

जब परमेश्वर के पुरुष या स्त्री यह जानते हैं कि वे मसीह में कौन हैं और मसीह ने उनके लिए क्या किया है, तो वे अपनी स्वार्थी-प्रवृत्ति, यानी, अपने अहंकार को खुश करने से मुक्त होते हैं। जब लोग वास्तव में समझते हैं कि वे जीवित परमेश्वर के पुत्र और पुत्रियाँ हैं, और उसके बहुमूल्य रक्त द्वारा मोल लिए गए हैं (प्रकाशितवाक्य 5:9), वे परमेश्वर द्वारा उनके सामने रखे किसी भी कार्य को करने के लिए झुकने में सक्षम हो जाते हैं। वे मसीह के लिए प्रेम के कारण स्वयं को खुश करने की इच्छा से इंकार कर दूसरों को पहले कर सकते हैं।

 

जब हम मसीह में अपना स्थान और उसने हमारे लिए क्या किया है यह जानते हैं, तो हमारे लिए मसीह के लिए कुछ भी करना तुच्छ नहीं होता। हम एक स्वस्थ आत्म-छवि के साथ दर्पण में देख अपने आप को याद दिला सकते हैं कि भले ही हम इस संसार में अमीर नहीं, लेकिन वह दिन आ रहा है जब हमें जीवित परमेश्वर के सेवक होने का इनाम मिलेगा। इस दुनिया में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण व्यक्ति के लिए भी, जो समझता है कि परमेश्वर की संतान होने का क्या अर्थ है, स्वस्थ्य आत्म-सम्मान है।

 

यह धरती पर रहते मसीह की अंतिम शिक्षाओं में से एक था जिसे वह हमारे पास छोड़ गया। यीशु के लिए यह महत्वपूर्ण था कि उसके अनुयायी एक दूसरे की सेवा करें और यह भी समझें कि वे कैसे उसके द्वारा कहे शब्दों से शुद्ध हुए हैं। वह सशक्त रूप से एक सच्चाई का वर्णन कर रहा था जो आने वाले दिनों में उनका नेतृत्व करेगा।

 

प्रश्न 3) आपको क्या लगता है कि पतरस यीशु को अपने पाँव धोने की अनुमति देने का इच्छुक क्यों नहीं था? आने वाले समय में ऐसा क्या था जिसे पतरस पाँव धोने के द्वारा समझेगा? यीशु के यह कहने का क्या मतलब था, “यदि मैं तुझे न धोऊं, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।” (यूहन्ना 13:8)

 

क्या आपने कभी किसी पाँव धोने के समारोह में किसी के द्वारा अपने पाँव धोए जाने को अनुभव किया है? यह अनुभव हमें दीनता महसूस कराता है और वास्तव में असहज है, खासकर किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जो घमंड करता है। पतरस ने इस कार्य का विरोध किया, जिससे यीशु की दीनता का प्रदर्शन किया। प्रभु उसके पाँव कैसे धो सकता है? पतरस के लिए, यह तो उल्टा होना चाहिए था। इस प्रकार का तुच्छ कार्य तो केवल एक सेवक ही करेगा! यूनानी भाषा में, "तू" और "मेरे" शब्द जोर देने के लिए एक साथ हैं। पतरस के लिए यह विचार अविश्वसनीय है। उसकी प्रतिक्रिया थी; "तेरा मतलब है, तू ... मेरे पाँव!" वह आठवें पद में कहता है, "तू मेरे पाँव कभी न धोने पाएगा!"

 

यीशु के उसके पाँव धोने के विचार पर पतरस के भीतर आत्म-मुखर घमंड जग गया। इस प्रकार का घमंड शारीरिक प्रवृत्ति है जो हम सभी के पास है। अगर उसके पाँव गंदे थे, तो वह उन्हें खुद साफ करेगा, बस बहुत है, धन्यवाद! पतरस के लिए प्रभु से अपने पाँव धुलवाने की सोच घृणित थी। हम सभी को सावधान होना चाहिए कि हमारे विचार जो प्रभु हमें सिखाना चाहता है उसके विपरीत न हों। उसके मार्ग हमारे मार्ग नहीं हैं। अक्सर, प्रभु का चीजों को करने का तरीका हमारी मानव प्रवृत्ति के विपरीत होगा। हम परमेश्वर की मदद से अलग, चीजों को अपने तरीके से करना पसंद करते हैं। उन विचारों को पहचानना सीखें, और जब परमेश्वर आपको एक सीखने का लम्हा देता है, तो जो आत्मा आपको सिखाना चाहता है उसके प्रति जागरूक और खुले रहें। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप उन आवश्यक सत्यों को सीखने से चूक सकते हैं जिन्हें परमेश्वर आपको प्रकट करना चाहता है!

 

नहाना और पाँव धोना

 

10यीशु ने उससे कहा, “जो नहा चुका है, उसे पाँव के सिवा और कुछ धोने का प्रयोजन नहीं; परन्तु वह बिलकुल शुद्ध है: और तुम शुद्ध हो; परन्तु सब के सब नहीं।” 11वह तो अपने पकड़वानेवाले को जानता था इसीलिये उसने कहा, तुम सब के सब शुद्ध नहीं। 12जब वह उनके पाँव धो चुका और अपने कपड़े पहनकर फिर बैठ गया तो उनसे कहने लगा, “क्या तुम समझे कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया? 13तुम मुझे ‘गुरू’, और ‘प्रभु’, कहते हो, और भला कहते हो, क्योंकि मैं वहीं हूँ। 14यदि मैंने प्रभु और गुरू होकर तुम्हारे पाँव धोए; तो तुम्हें भी एक दुसरे के पाँव धोना चाहिए। 15क्योंकि मैंने तुम्हें नमूना दिखा दिया है, कि जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया है, तुम भी वैसा ही किया करो। 16मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ, दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं; और न भेजा हुआ अपने भेजनेवाले से। 17तुम तो ये बातें जानते हो, और यदि उन पर चलो, तो धन्य हो। (यहुन्ना 13:10-17)

 

जब यहुन्ना ने उस रात की घटनाओं के बारे में लिखा था, तो उसने इस तथ्य पर विचार किया कि उसने मसीह को यहूदा के पाँव धोते देखा (पद 10)। अपने सुसमाचार को लिखने के समय (लगभग 90 ईसा पश्चात्), यहुन्ना को यहूदा और यहूदी धार्मिक अग्वों के बीच किए गए सौदे के बारे में पता चल गया था, और पीछे देखते हुए, उसने सोचा कि यह उल्लेखनीय था कि यीशु को विश्वासघात के बारे में पता था, फिर भी उसने यहूदा के पाँव धोए। लूका अपने सुसमाचार में गवाही देता है कि सौदा फसह के भोज पर बैठने से पहले हो चुका था (लूका 22:1-6)

 

शिष्यों ने बाद में समझा (पद 7), कि जैसे यहूदी लोग मिकवे के पानी में धोए जाने या अनुष्ठान के स्नान के लिए भोज से पहले यरूशलेम पहुँचते थे, उसी तरह यीशु भी उन्हें क्रूस पर अपने बलिदान के द्वारा पाप से पूरी तरह से शुद्ध कर देगा। मसीह के बलिदान के समान, पाप से इस शुद्धता की परछाई पुराने नियम में प्रायश्चित के दिन में प्रकट की गई थी; क्योंकि तुम्हें शुद्ध करने के लिये तुम्हारे निमित्त प्रायश्चित्त किया जाएगा; और तुम अपने सब पापों से यहोवा के सम्मुख पवित्र ठहरोगे (लैव्यव्यवस्था 16:30)। तीतुस को पौलुस का पत्र भी इस स्नान की बात करता है:

 

तो उसने हमारा उद्धार किया, और यह धर्म के कामों के कारण नहीं, जो हमने आप किए, पर अपनी दया के अनुसार, नए जन्म के स्नान, और पवित्र आत्मा के हमें नया बनाने के द्वारा हुआ। (तीतुस 3:5)

 

सबसे पहले, पानी में धोना है, हमारी पूरी प्रवृत्ति का स्नान जो मसीह के क्रूस की आत्मिक शुद्धि का प्रतीक है। जब एक व्यक्ति परमेश्वर से निकट आता था, तो उसे बलिदान की वेदी के माध्यम से आना पड़ता था। उस व्यक्ति के स्थान पर जो परमेश्वर के निकट आएगा, एक प्रतिस्थापना के मेमने का बलिदान किया जाना था। लहू बहाए जाने के बिना, परमेश्वर के निकट नहीं आया जा सकता है;

 

और व्यवस्था के अनुसार प्राय: सब वस्तुएं लहू के द्वारा शुद्ध की जाती हैं; और बिना लहू बहाए क्षमा नहीं होती। (इब्रानियों 9:22)

 

क्योंकि शरीर का प्राण लहू में रहता है; और उसको मैं ने तुम लोगों को वेदी पर चढ़ाने के लिये दिया है, कि तुम्हारे प्राणों के लिये प्रायश्चित किया जाए; क्योंकि प्राण के कारण लहू ही से प्रायश्चित होता है। (लैव्यव्यवस्था 17:11)

 

वेदी लहू से शुद्ध करने के स्नान के बारे में बात करता है, अर्थात, सम्पूर्ण व्यक्ति को शुद्ध करने की आवश्यकता। यीशु ने पतरस को यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक कलवरी के पेड़ पर मसीह के बलिदान का लहू उसे शुद्ध न करे, तब तक उसका मसीह से

कुछ लेना-देना नहीं है। एक पवित्र परमेश्वर के निकट आने को पाप से क्षमा के लिए कलवरी के बलिदान का अध्यारोपण (हमारे बदले किसी और के पास होना) किये बिना संभव नहीं है।

 

जो नहा चुका है, उसे पाँव के सिवा और कुछ धोने का प्रयोजन नहीं; परन्तु वह बिलकुल शुद्ध है।” (यहुन्ना 13:10)

 

प्रश्न 4) यह कहकर कि केवल पतरस के पाँव के धोए जाने की आवश्यकता है, उसके पूरे शरीर को नहीं, यीशु क्या कहना चाह रहा है?

 

किसी याजक के पवित्र स्थान में प्रवेश करने से पहले, यानी, मंदिर के बाहरी आँगन में, उसे पीतल की हौदी पर अपने हाथ और पाँव धोने होते थे।

 

और उसने हौदी और उसका पाया दोनों पीतल के बनाए, यह मिलापवाले तम्बू के द्वार पर सेवा करनेवाली महिलाओं के दर्पणों के लिये पीतल के बनाए गए। (निर्गमन 38:8)

 

25हे पतियों, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिये दे दिया। 26कि उसको वचन के द्वारा जल के स्नान से शुद्ध करके पवित्र बनाए27और उसे एक ऐसी तेजस्वी कलीसिया बनाकर अपने पास खड़ी करे, जिसमें न कलंक, न झुर्री, न कोई ऐसी वस्तु हो, वरन पवित्र और निर्दोष हो। (इफिसियों 5:25-27)

 

तुम तो उस वचन के कारण जो मैंने तुम से कहा है, शुद्ध हो(यहुन्ना 15:3)

 

परमेश्वर के वचन के माध्यम से क्रूस पर मसीह की मृत्यु हम पर लागू होती है। परमेश्वर के वचन को ग्रहण करने के द्वारा, अर्थात, मसीह के बलिदान के पर्याप्त होने का संदेश और इसके प्रति हमारी आज्ञाकारिता के द्वारा, हम शुद्ध किये गए हैं। लेकिन, हमें अभी भी इस सांसारिक प्रणाली में जीना है, जो परमेश्वर के विपरीत है। इस जीवन से गुजरते हुए, ऐसे अवसर आएंगे जब हम पाप करें। ऐसे समय होते हैं जब हमारे पाँव (अपना दैनिक जीवन जीना) गंदे होंगे। हमें अपने पाँव धोना आवश्यक है, जो हमारे पाप का अंगीकार करने और उसकी क्षमा में चलने का प्रतीक है। यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि वे पहले से ही उस शब्द के कारण शुद्ध थे जो उन्होंने उनसे कहा था।

 

क्योंकि वे मसीह के साथ थे, वे उसे जान गए थे और जल्द ही पाप के बलिदान के रूप में उसकी मृत्यु के कारण को समझेंगे। वे उसके शब्दों को याद कर उसकी मृत्यु के कारण को समझेंगे। वे उसके उस रात उनके पाँव धोने के गहरे अर्थ की सराहना भी करेंगे। मुझे यकीन है कि मसीह के उन्हें छोड़ कर जाने के बाद उन्होंने कई बार याद किया होगा कि उसने अपनी आखिरी रात कैसे उनकी सेवा की, जो उन्हें यह याद दिलाता होगा कि उन्हें किस प्रकार एक-दूसरे की सेवा करनी है।

 

पाप के अंगीकार द्वारा शुद्धि

 

1818 में, छः में से एक महिलाएं जिनके बच्चे पैदा हुए "प्रसव बुखार" नामक किसी चीज़ से मारे गए। उन दिनों डॉक्टर की दैनिक दिनचर्या विच्छेदन कक्ष में शुरू होती, जहाँ वो शव परीक्षण करते, और वहाँ से गर्भवती माताओं की जाँच करने के लिए अपने दौरे पर निकलते। किसी ने भी अपने हाथ धोने का विचार नहीं किया, कम से कम तब तक नहीं जब तक इग्नाज़ सेममेलवेस नामक एक डॉक्टर ने सख्त हाथ धोने का अभ्यास करना शुरू किया। वह हाथ धोने की कमी को विशाल मृत्यु दर के साथ जोड़ने वाले पहले डॉक्टर थे। डॉ सेममेलवेस पचास में से केवल एक मरीज़ खोते थे, फिर भी उनके साथी उनपर हँसते थे। उन्होंने कहा, "किसी घाव से विघटित सामग्री का संपर्क प्रसव बुखार का कारण बनता है। मैंने दिखाया है कि इसे कैसे रोका गया जाए। मैंने जो कुछ कहा है, उसे साबित कर दिया है। लेकिन जब हम केवल बात, बात, बात करते हैं, तो महिलाएं मर रही हैं। मैं दुनिया हिला देने वाला कुछ नहीं माँग रहा हूँ, केवल इतना ही कि आप अपने हाथ धोएं।" लेकिन तब भी उस पर लगभग किसी ने विश्वास नहीं किया।

 

हम प्रकृति में भी देखते हैं, कि जब शुद्धि नहीं होती तो रोग कैसे फैल सकता है। जब तक संक्रमण को रोका न जाए वह मौत का कारण बन सकता है। पाप भी एक बीमारी की तरह है और जब तक इसे रोका नहीं जाता यह तब तक फैलता रहेगा। मसीह के द्वारा, शुद्धि हमारे लिए हमेशा उपलब्ध है। हम सभी के लिए जो मसीही हैं यह आवश्यक है कि हम इस जीवन में परमेश्वर और मनुष्य के सामने स्पष्ट विवेक के साथ चल पाने के लिए अपने पाप का अंगीकार करने का समय लें। जब भी आत्मा हमें कुछ ऐसा दिखाता है जो हमने कहा या किया है जिससे वह खेदित हुआ है, हमें परमेश्वर के सम्मुख उसका अंगीकार करना है ताकि हमें क्षमा मिल सके और हमें शुद्ध किया जा सके। क्षमा प्राप्त करने के बाद, हमें पवित्र आत्मा से सहायता मांगनी हैं ताकि हम अगली बार पाप में चलने की परीक्षा के समय उसपर विजय हासिल कर सकें। जीवन जीने के इस तरीके को आत्मा के साथ कदम मिलाकर चलना कहा जाता है। यदि हम ऐसा करते हैं, तो जब परमेश्वर अपने पवित्र आत्मा द्वारा हमसे बात करते हैं, हम अपने गंदे पाँव के बारे में अधिक जागरूक होंगे। यदि हम ऐसा नहीं करते, तो हमारे हृदय पाप के प्रति कठोर हो सकते हैं। प्रेरित यहुन्ना ने इसे इस तरह से समझ कर हमें निर्देश दिया;

 

8यदि हम कहें, कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं, और हम में सत्य नहीं। 9यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। 10यदि कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं, और उसका वचन हम में नहीं है। (1 यहुन्ना 1:8-10)

 

मसीह के द्वारा, हम जान सकते हैं कि हम अपने पाप से शुद्ध किये गए हैं और परमेश्वर के साथ घनिष्ठ सहभागिता का आनंद उठाते हैं। उसने हमें सभी अधर्म से शुद्ध किया है। पवित्र आत्मा हमारा नेतृत्व करने और जिस मार्ग में वह हमें ले जाना चाहता है उसमें ले जाने के लिए तैयार है। हमारी सफलता हमारी काबिलियत पर निर्भर नहीं करती। मसीही जीवन मसीह और उसकी क्षमा पर निर्भर करता है। अगर हमने अपने पापों की क्षमा के लिए प्रभु को पुकारा है, तो उसने पहले ही हमें अपने बलिदान के द्वारा शुद्ध कर दिया है, और जब हम उसके कदम से कदम मिलाकर चलना सीखते हैं तो वह निरंतर हमारा मार्गदर्शन करने और हमारी चाल को शुद्ध करने के लिए तैयार है। जब तक हम उसके आमने-सामने नहीं आ जाते वह हमें महिमा के एक स्तर से अगले स्तर तक लेकर जाएगा (2 कुरिन्थियों 3:18)

 

प्रार्थना; पिता, पाप से शुद्ध करने के आपके दयालु प्रावधान के लिए धन्यवाद। आपके आत्मा के प्रति जल्दी प्रतिक्रिया देने में हमारी सहायता करें। भले ही आप सबकुछ के स्वामी हैं, हमारी सेवा करने के लिए झुकने के लिए धन्यवाद। हमें आपके साथ दूसरों की मदद करने में खुशी पाने में सहायता करें। आमिन!

 

कीथ थॉमस

-मेल: keiththomas@groupbiblestudy.com

वेबसाइट: www.groupbiblestudy.com

 

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